Hindi Typing Test - आधुनिक युग में फौज
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फौज के बदलते दौर में युद्ध के तरीके
फौज के बदलते दौर में सेना और युद्ध के तरीके बिल्कुल बदल गए हैं। इसके संकेत पहले विश्वयुद्ध में दिखे थे। उस वक्त चार-पाँच खास पहलू नजर आए थे जिन्होंने अगले सौ साल के लिए लड़ाई का रुख बदल दिया था।
पहले विश्वयुद्ध में पहली बार मशीनगन का उपयोग हुआ। इससे एक सैनिक अपनी अंगुली दबाकर ही सैकड़ों दुश्मनों को मार सकता था। इससे पहले एक गोली से केवल एक दुश्मन मारा जाता था, और वह भी जब सैनिक का निशाना अच्छा होता।
दूसरी चीज रेलवे का इस्तेमाल सामने आया। हमारे देश में भी जब युद्ध की स्थिति बनी तो रेलवे का परिवहन और साजो सामान पहुंचाने के लिए इस्तेमाल होने लगा। यह सैन्य गतिविधियों को सुगम बनाने में अत्यधिक सहायक सिद्ध हुआ।
तीसरी बात संचार में हो रही प्रगति की थी। पहले टेलीग्राफ और बाद में विद्युत संचार का उपयोग किया गया। इससे सैनिकों को युद्ध संबंधी संदेश भेजने में मदद मिलनी लगी। संचार प्रणाली में यह बदलाव युद्ध की दिशा को बदलने में महत्वपूर्ण साबित हुआ।
ज्यों-ज्यों आधुनिकरण हुआ, त्यों जवानों की काबिलियत की बजाय तकनीक पर जोर बढ़ता गया। युद्ध अब उपकरणों से लड़ा जाने लगा। सैनिकों का प्रशिक्षण भी तकनीक आधारित अधिक हो गया। यही कारण था कि युद्ध में टैंक, विमानों और आधुनिक हथियारों का उपयोग बढ़ा।
वैसे हमारे पास जो भी साधन हैं, वे दिन की लड़ाई के लिए तो पर्याप्त हो सकते हैं, लेकिन इनसे रात की लड़ाई में बेहद मुश्किल खड़ी हो सकती है। रात में युद्ध में दृश्यता का अभाव होता है, और इसी कारण से नाइट विजन से लैस उपकरणों की अत्यंत आवश्यकता होती है।
नाइट विजन उपकरण सैनिकों को रात में भी युद्धक्षेत्र को साफ-साफ देखने की क्षमता प्रदान करते हैं। ये उपकरण रात के अंधेरे में छिपे दुश्मन को भी पहचाने में सक्षम होते हैं, जिससे सैनिकों को रणनीतिक लाभ मिलता है। इस तकनीकी उपकरण के बिना, रात में युद्ध लड़ना लगभग असंभव हो सकता है।
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