Hindi Typing Test - जल ही जीवन है
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जल ही जीवन है
जल ही जीवन है यह तो हम सभी जानते है परंतु यह समझना आज अत्यन्त आवश्यक हो गया है क्योंकि लगभग सभी प्रांतो में भूजल स्तर नीचे और नीचे गिरता जा रहा है। विगत दशको में हुये शहरीकरण से भी एक निश्चित भूभाग पर जल का दोहन अधिक होने से जलस्तर का गिरना स्वाभाविक ही था।
आज की बात करे तो जल की कमी के कारण जल में ठोस पदार्थो का प्रतिशत बढ रहा है उदाहरण के तौर पर हम देखें तो पानी में फिलोराइड की मात्रा पिछले तीस वर्षो में एक प्रतिशत तक बढ गई है जो कि एक अत्यन्त चिंतनीय विषय है क्योकि केवल इतनी बढी मात्रा भी मानव शरीर को फिलोरोसिस नामक बिमारी से ग्रसित करने के लिए काफी है जिसके फलस्वरूप व्यक्तियों के दांत समय से पहले ही खराब हो जाते है तथा व्यक्ति के घुटनों में दर्द की शिकायत रहती है तथा आगे चलकर गंभीर रूप ले सकती है।
इसलिये आजकल डॉक्टर सभी व्यक्तियों को आर ओ मशीन फिल्टर लगाने की सलाह देते है जहां कृपानी में ठोस पदार्थो की मात्रा तीन सौ पीपीएम से अधिक है।
जल संकट और इसके प्रभाव
जल संकट का खतरा आज हर क्षेत्र में बढ़ता जा रहा है। पिछले कुछ दशकों में, जल संसाधनों की स्थिति अत्यधिक चिंता का विषय बन चुकी है। जल की कमी के कारण कई क्षेत्रों में जलस्तर लगातार घटता जा रहा है, जिससे न केवल जीवन के लिए आवश्यक जल की उपलब्धता में कमी आ रही है, बल्कि प्राकृतिक संसाधनों पर भी विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।
जल प्रदूषण का स्तर भी दिनों-दिन बढ़ रहा है। जल में अवशिष्ट तत्वों की वृद्धि से न केवल जल का उपयोग कठिन हो गया है, बल्कि इससे स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। जल के प्रदूषित होने के कारण कई प्रकार की बीमारियाँ फैलने का खतरा बढ़ गया है, जैसे दस्त, पेचिश और अन्य जलजनित रोग।
इस संकट को समाप्त करने के लिए कई योजनाएँ लागू की गई हैं, जैसे नदियों की सफाई, जल संरक्षण के उपायों को बढ़ावा देना और जल की बचत को लेकर जागरूकता फैलाना। इन प्रयासों के बावजूद जल संकट की समस्या के समाधान के लिए और भी प्रयास किए जाने की आवश्यकता है।
जल के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। यह न केवल पीने के लिए आवश्यक है, बल्कि कृषि, उद्योग और घरेलू कार्यों के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यदि जल का संरक्षण और पुनर्चक्रण किया जाए तो आने वाली पीढ़ियों के लिए जल संकट को कम किया जा सकता है।
जल के इस संकट से निपटने के लिए हमें जल संचयन, वर्षा जल संचयन, नदियों की सफाई और जल के प्रति जागरूकता जैसे कदम उठाने होंगे। इसके साथ ही, जल का दुरुपयोग रोकने और पानी की सही तरीके से खपत करने की आवश्यकता है।
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